सरकार की नई पीपीएफ़ नीति एनआरआई और छोटे निवेशकों पर असर डालेगी

पिछले एक दशक से नरेंद्र मोदी सरकार बार-बार हिंदू राष्ट्रवाद पर आधारित एक प्रकार की प्रवासी कूटनीति पर ज़ोर देती रही है जिसने स्पष्ट रूप से उनके अनिवासी भारतीय (एनआरआई) समर्थकों को आकर्षित किया है। दिलचस्प बात यह है कि उनकी सरकार ने अब एनआरआई को दीर्घकालिक लघु बचत और निवेश सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना का लाभ उठाने से रोक दिया है।

जनवरी 1979 से भारत के सभी प्रधान डाकघरों में शुरू की गई पीपीएफ योजना न केवल सावधि जमा (फिक्स्ड डिपोजिट) की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक ब्याज दर के कारण लोकप्रिय है, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि इससे हासिल ब्याज आयकर से मुक्त है। मोदी सरकार ने नियमों में संशोधन किया है जिसके तहत एनआरआई के पीपीएफ खातों पर 1 अक्टूबर, 2024 से “शून्य” ब्याज मिलेगा। इसके लिए एक आदेश 21 अगस्त, 2024 को डाक विभाग के वित्तीय सेवा प्रभाग द्वारा जारी किया गया था जो केंद्रीय संचार मंत्रालय के अधीन है और वर्तमान में जिसके मुखिया दलबदलू राजनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं।

यह कहा जा सकता है कि यह क़दम मूल रूप से एनआरआई निवेशों को पीपीएफ द्वारा शेयर बाज़ारों और म्यूचुअल फंडों में दिए जाने वाले निश्चित रिटर्न (7.1 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर) की गारंटी से दूर करने के लिए उठाया गया है जो अपने स्वभाव से ही अस्थिर और अप्रत्याशित हैं। इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश पर रिटर्न संभावित रूप से पीपीएफ खातों में निवेश से काफ़ी अधिक हो सकता है, लेकिन इक्विटी शेयर कॉर्पोरेट मुनाफ़े और उछाल वाले शेयर बाज़ारों पर निर्भर है।

पीपीएफ नियमों में संशोधन करने वाला सरकारी आदेश उन खातों को नियमित करने के लिए दिशानिर्देशों के एक सेट के रूप में जारी किया गया था जो विभिन्न राष्ट्रीय लघु बचत योजनाओं में निहित नियमों के विपरीत काम कर रहे हैं। नाबालिग़ के नाम पर पीपीएफ खाते पर अब डाकघर में किसी भी सामान्य बचत खाते के लिए लागू दर पर ब्याज मिलेगा, यानी प्रति वर्ष केवल 4 प्रतिशत मिलेगा। नाबालिग़ की 18 वर्ष पूरी होने के बाद ही वह उच्च ब्याज दर का भुगतान पाने का पात्र होने के लिए नया पीपीएफ खाता खोल सकता है। हालांकि "अनियमित" - भारत में पीपीएफ खाता खोलने के लिए न्यूनतम आयु आवश्यकता 18 वर्ष है - पिछले 50 वर्षों में कई माता-पिता द्वारा अपने बच्चों की भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से नाबालिग़ के नाम पर डी फैक्टो अकाउंट खोला गया है।

कई मध्यम आय वाले परिवारों के लिए जिनके पास निश्चित वेतन या आय के नियमित स्रोत नहीं थे उनके लिए अतीत में डी फैक्टो पीपीएफ खातों में जमा राशि युवाओं को आने वाले समय में वित्तीय अनिश्चितता से बचाने के लिए काम आती थी। अब यह संभव नहीं होगा। नए दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से लोगों को कई पीपीएफ खाते रखने से रोकते हैं। किसी व्यक्ति को दो खाते चुनने की अनुमति होगी - एक प्राथमिक खाता जिसमें पैसा (अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक, जो पीपीएफ खाते में निवेश की वार्षिक सीमा है) और एक सेकेंड्री अकाउंट जिसमें से पैसे को प्राथमिक खाते में स्थानांतरित किया जा सकता है। प्राथमिक खाता केवल पीपीएफ खातों पर प्रचलित ब्याज दर प्राप्त करने के लिए पात्र होगा। सेकेंड्री अकाउंट में शेष राशि शून्य ब्याज के साथ चुकाई जाएगी जबकि उसी व्यक्ति के नाम पर रखे गए अन्य पीपीएफ खातों पर उस तिथि से कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा, जिस तिथि से इसे खोला गया था।

जहां तक एनआरआई का सवाल है, ऐसा नहीं है कि पीपीएफ खातों में निवेश करते समय अतीत में उन पर कोई प्रतिबंध नहीं था, उन्हें नए पीपीएफ खाते खोलने से रोक दिया गया है। हालांकि अब तक नियम एनआरआई को पीपीएफ खातों में निवेश जारी रखने की अनुमति देता था जो उन्होंने भारत के नागरिक रहते हुए खोले थे। इसलिए, एनआरआई का स्टेटस हासिल करने के बाद भी वे योगदान कर सकते थे और खाता खुलने की तारीख़ से 15 साल तक ब्याज हासिल करना जारी रख सकते थे। हालांकि, अब एनआरआई को 1 अक्टूबर से पीपीएफ खातों में कोई ब्याज नहीं मिलेगा।

मोदी सरकार ने पीपीएफ खातों में एनआरआई निवेश पर फ़ैसला उनके तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के कुछ महीने बाद लिया है। हालांकि 2019 में 303 सांसदों के मुक़ाबले लोकसभा में 240 सांसद उनकी पार्टी से हैं। उनकी सरकार 2014 से ही विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक आउटरीच कार्यक्रम शुरू करके प्रवासी भारतीयों को लुभाने में लगी हुई है। ऐसे में प्रवासी भारतीय दिवस एक बड़ा आयोजन बन गया है। भारत सरकार द्वारा विदेशों में बसे एनआरआई को अधिक ओवरसीज सिटीजन ऑफ़ इंडिया (ओसीआई) कार्ड जारी किए जा रहे हैं।

मार्च 2015 में ब्रिटिश दैनिक समाचार पत्र द गार्डियन से बात करते हुए भाजपा के विचारक राम माधव ने कहा, “हम कूटनीति की रूपरेखा बदल रहे हैं और विदेशों में भारत के हितों को मज़बूत करने के नए तरीक़ों पर विचार कर रहे हैं। वे [एनआरआई] उन देशों में वफ़ादार नागरिक होने के बावजूद भारत की आवाज़ बन सकते हैं... यह वैसा ही है जैसे यहूदी समुदाय संयुक्त राज्य अमेरिका में इज़राइल के हितों की रक्षा करता है।”

2014 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने के तुरंत बाद मोदी ने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर में एनआरआई की एक विशाल सभा को संबोधित किया था जिसे लोगों ने “इलेक्ट्रिफाइंग” और “रॉक कॉन्सर्ट” के समान बताया था। मई 2023 में जब वे भारत की सॉफ्ट पावर को प्रदर्शित करने के लिए सिडनी के क्यूडोस बैंक एरिना में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए ऑस्ट्रेलिया गए तो प्रवासी भारतीयों ने उनका “रॉक स्टार” की तरह स्वागत किया। जून 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के तुरंत बाद तीन दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी के रोनाल्ड रीगन सेंटर में बोलते हुए मोदी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच साझेदारी को मज़बूत करने में भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों द्वारा निभाई जाने वाली “महत्वपूर्ण भूमिका” पर ज़ोर दिया। इसलिए, सरकार की प्रवासी कूटनीति में अचानक आए इस बदलाव को समझना मुश्किल है।

Featured Book: As Author
Thin Dividing Line
India, Mauritius and Global Illicit financial flows
  • Authorship: Paranjoy Guha Thakurta, with Shinzani Jain
  • Publisher: Penguin Random House India
  • 304 pages
  • Published month:
  • Buy from Amazon
  • Buy from Flipkart
 
Featured Book: As Publisher
Idea of India Hard to Beat
Republic Resilient